- पिछले जन्म के दुश्मन थे कर्ण और अर्जुन, 999 बार मार चुके थे पहले
🌼 पूर्वजन्म में श्री कृष्ण के जन्म की बात की जाए तो वह भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। यानी इससे पहले भगवान श्रीकृष्ण का सात बार जन्म हो चुका था लेकिन मूल रूप से यह माना जाता है कि कृष्ण पूर्वजन्म में नारायण ही थे। इसी तरह महाभारत के अन्य पात्रों का भी पहले जन्म हो चुका था। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कर्ण और अर्जुन की दुश्मनी सिर्फ महाभारत तक सीमित नहीं थी बल्कि कई जन्मों से चल रहा था। आज हम आपको महाभारत के पात्र कर्ण और अर्जुन के पूर्वजन्म के संबंध के बारे में बताते हैं।
🌼 पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, अर्जुन पूर्वजन्म में नारायण के जुड़वां भाई नर थे। नर और नारायण ने दंभोद्भवा नामक असुर का वध करने के लिए जन्म लिया था। दंभोद्भवा ने भगवान सूर्य की तपस्या करके उनसे एक हजार कवच का वरदान मांग लिया था। इस कवच के साथ एक और वरदान जुड़ा था कि हर कवच को तोड़ने के लिए एक हजार साल तपस्या करनी पड़ेगी और कवच के टूटते ही वह व्यक्ति भी मर जाएगा जिसने उसे तोड़ा है।
🌼 वरदान के कारण वह असुर अपने को अजेय-अमर समझकर अत्याचारी हो गया था। नर और नारायण ने बारी-बारी से तपस्या करके दंभोद्भवा के 999 कवच तोड़ दिए और जब एक कवच बच गया तो असुर सूर्य लोक में जाकर छुप गया। महाभारत के युद्ध में इस असुर का अंत अर्जुन ने किया।
🌼 महाभारत की कथा में एक ही व्यक्ति था जिसके बारे में मान्यता थी कि उसने कवच कुंडल के साथ जन्म लिया था यह कोई और नहीं बल्कि कर्ण ही थे। दरअसल कर्ण ही पूर्वजन्म में दंभोद्भवा नामक असुर था। कर्ण का वध करने के लिए ही कृष्ण और अर्जुन को वापस पुनर्जन्म लेना पड़ा था। पूर्वजन्म में जब दंभोद्भवा का कवच टूटता और नर नारायण में से एक की मृत्यु होती तो दूसरा अपने तप से दूसरे को जीवित कर देता और दंभोद्भवा से युद्ध करने लगता तब तक दूसरा भाई तप करता रहता। इस तरह नर-नारायण के तालमेल से दंभोद्भवा असुर का अंत हुआ।
🌼 कर्ण और अर्जुन के पिछले जन्म की कथा का वर्णन पद्म पुराण में भी मिलता है। इसके अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और महादेव के बीच युद्ध होता है, महादेव ब्रह्माजी के पांचवें सर को काट देते है। क्रोधित ब्रह्मदेव के शरीर से पसीना आता है इस पसीने से एक वीर योद्धा उत्पन्न होता है। जो स्वेद(पसीने) से जन्मा इसलिए स्वेदजा के नाम से जाना गया। स्वेदजा पिता ब्रह्मा के आदेश से महादेव से युद्ध करने जाता है। महादेव भगवान विष्णु के पास क्रोधित ब्रह्मा द्वारा जन्म लेने वाले स्वेदजा का हल जानने जाते हैं। इसका उपाय करने के लिए भगवान विष्णु अपने रक्त से एक वीर को जन्म देते है। रक्त से जन्मा इसलिए उसे रक्तजा के नाम से जाना जाता है।
🌼 स्वेदजा 1000 कवच के साथ जन्मा था और रक्तजा 1000 हाथ और 500 धनुष के साथ जन्मा था। चूंकि धार्मिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा भी विष्णु से ही उत्पन्न हुए थे इसके आधार पर स्वेदजा भी भगवान विष्णु का अंश था। स्वेदजा और रक्तजा में भयंकर युद्ध होता हे। स्वेदजा रक्तजा के 998 हाथ कट देता है और 499 धनुष तोड़ देता हे। वहीं रक्तजा स्वेदजा के 999 कवच तोड़ देता है। रक्तजा जिस क्षण हारने वाला होता है। भगवान विष्णु समझ जाते हैं कि अब रक्तजा से हार जाएगा वह युद्ध विराम करवा देते हैं।
🌼 स्वेदजा दानवीरता दिखाते हुए रक्तजा को जीवनदान देता है। भगवान विष्णु स्वेदजा की जिम्मेदारी सूर्य भगवान को सौंपते है, जबकि रक्तजा की इंद्रदेव को। वह इंद्रदेव को वचन देते है कि अगले जन्म में रक्तजा के हाथों स्वेदजा का वध अवश्य होगा। द्वापर युग में इस वजह से ही रक्तजा (अर्जुन) और स्वेदजा (कर्ण) के रूप में जन्म लेते हैं और महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन अपने कई जन्मों के दुश्मन कर्ण की युद्ध के दौरान वध करते हैं।
अनिल निश्छल

