संस्कृत में SPIRITUAL को अध्यात्म कहा जाता है। यह दो शब्दों आदि (प्रारंभ) और आत्मान से बना है। आधि का अर्थ है–अनंत और आत्मा का अर्थ है आत्मा है ।
आत्मा हम में से प्रत्येक के भीतर ईश्वरीय सिद्धांत है और हमारा वास्तविक स्वरूप है । यह सूक्ष्म शरीर का मुख्य घटक है, जो कि सर्वोच्च भगवान का अंश है।
इसकी विशेषताएं पूर्ण सत्य (सत) पूर्ण चेतना (चित) और आनंद (आनंद) हैं। आत्मा उतार-चढ़ाव से अप्रभावित रहती है |
आध्यात्म का अर्थ :-
ध्यान में बठना भी है आओ ध्यान करे जिसका शरीर से संबंद्ध नहीं है मन आत्मा से संबंद्ध है ये साधारण योग नहीं है | एक योग स्वस्थ्य के लिये है जो शरीर के निरोग के लिया है जिससे हम सभी कार्य करते हे | दूसरा योग आत्मा का परमात्मा से जुड़ना है ये अध्यात्मिक पथ है जिस पर चलकर परमात्मा को पाया जा सकता है |
अध्यात्म भीतर से आनंदित होने का विज्ञान है । हम संसार में विज्ञान को अधिक महत्व देते है , मगर स्कूल में आधुनिक विज्ञान पर बात होती है जो हमें संसार में आगे बड़ने में मदद करता है जो केवल इसी जन्म के लिया सीमित है
मगर अध्यातम में आत्मा और परमात्मा की जानकारी मिलती है प्रेम, करुणा, परोपकारिता, मृत्यु के बाद का जीवन, मृत्यु से पहले का ज्ञान मिलता है
अध्यात्म में हमें जानने का मोका मिलता है कि मेरे से कुछ बड़ा है,जो मुझको चला रहा है हम जिस बड़े हिस्से का हिस्सा हैं वह प्रकृति में ब्रह्मांडीय या दिव्य है।
आध्यात्मिकता का अर्थ है
यह जानना कि हमारे जीवन का महत्व एक सांसारिक रोजमर्रा के अस्तित्व से परे जैविक जरूरतों के स्तर पर है जो स्वार्थ और आक्रामकता को प्रेरित करते हैं। इसका अर्थ यह जानना है कि हम अपने ब्रह्मांड में जीवन के एक उद्देश्यपूर्ण पथ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
अध्यात्म के जरिये कुछ ही व्यक्तियों ने जाना के वो कोन है , वही संत कहलाये उन्हों ने सामान्य व्यक्ति की तुलना में विकास के उच्च स्तर को प्राप्त किया है और प्रकट किया है। ऐसे प्रेरक उदाहरणों की विशेषताओं को प्रकट करने की इच्छा अक्सर आध्यात्मिक रूप से इच्छुक लोगों के लिए जीवन की यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है।
हम जो दिखते है ये वास्तविक रूप नहीं है। ये तो कारण शरीर है यह सूक्ष्म शरीर का मुख्य घटक है, जो ईश्वरीय तत्व महा पूर्ण (सत), पूर्ण सचेतन (चित) और आनंद (आनंद) हैं।
मै कोन हु , कहा से आया हु , हम किस प्रकार से बने हैं, इन सभी प्रश्नों के उत्तर हमें अध्यातम को जानने से ही मिल सकते है | शरीर, मन, बुद्धि ,चित, अहंकार क्या है
आधुनिक जीवन के तनाव और तनाव के साथ, ख़ुशी मायावी और क्षणभंगुर है। अध्यात्म , इस प्रकार, स्वभाव के स्वभाव और स्वभाव के साथ की पहचान और इसे वास्तविक स्वरूप के रूप में अनुभव करने के लिए संबंधित हैं।
अध्यात्म अनन्त का ज्ञान, प्रभामंडल का ज्ञान है | यह जीव जगत और सूक्ष्म जीव जगत, सभी भौतिक और सूक्ष्म जगत, सभी भौतिक और सूक्ष्म जीव, ऊर्जा और स्पंदन, सभी जीवित और संपूर्ण जीवित रहने और संपूर्ण भविष्य में सभी ग्रहों को कवर करता है।
अध्यात्म में भविष्य की योजना, भविष्य के लिए ज्ञान और स्मृति समाहित है
अध्यात्म और धर्म दोनों अलग अलग है
अध्यात्म के ज्ञान से स्वयं में सुधार किया जा सकता है । आजकल लोग अध्यातम में अपनी रूचि दिखा रहे है क्योकी जीवन में संघर्ष के बाद भी सफलता मिले ये गारेंटी नहीं है
आध्यात्मिक ज्ञान के बारे में जिज्ञासा , जीवन के अधिक गहन प्रश्नों के उत्तर की तलाश शामिल है जैसे –
जीवन का उद्देश्य क्या है,
मैं कहां से आया हूं और मृत्यु के बाद कहा जाना है
आध्यात्मिक जीवन एक ऐसी नाव है जो ईश्वरीय ज्ञान से भरी होती है। यह नाव जीवन के उत्थान एवं पतन के थपेड़ों से हिलेगी-डोलेगी, पर डूबेगी नहीं
शरीर के लिए जन्म, जरा और मृत्यु एक प्राकृतिक क्रिया है, जो ब्रह्मांड के लिए या विश्व के लिए नियति है। आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त व्यक्ति ईश्वरीय शक्ति संपन्न बन जाता है। …
विडंबना यह है कि हर कोई विध्वंस को ही शक्ति मान रहा है, जबकि सबसे बड़ी शक्ति अध्यात्म है, आत्मा है। इंसान सबसे शक्तिशाली है। एक भी ऐसा प्राणी नहीं है जिसमें शक्ति न हो
आध्यात्मिक ज्ञान ही उसे यह समझाने में सहायक हो सकता है कि इस जगत का असली सृष्टिकर्ता और सर्वेसर्वा ईश्वर ही है। मानव तो उसकी एक रचना मात्र है। यहां तक कि उसका जीवन भी नश्वर है और एक न एक दिन सब नष्ट हो जाएगा।
अध्यात्म की अनके इकइयो को वो ठीक से समझा सकता हे जो खुद इस राह पर चला हों |
मनुष्य की मूल प्रकृति निर्दोष, सहज और आनंद से परिपूर्ण जी ..
आध्यात्मिकता का किसी धर्म, संप्रदाय या मत से कोई संबंध नहीं है। आप अपने अंदर से कैसे हैं, आध्यात्मिकता इसके बारे में है। आध्यात्मिक होने का मतलब है, भौतिकता से परे जीवन का अनुभव कर पाना। अगर आप सृष्टि के सभी प्राणियों में भी उसी परम-सत्ता के अंश को देखते हैं, जो आपमें है, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आपको बोध है कि आपके दुख, आपके क्रोध, आपके क्लेश के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है, बल्कि आप खुद इनके निर्माता हैं, तो आप आध्यात्मिक मार्ग पर हैं। आप जो भी कार्य करते हैं, अगर उसमें सभी की भलाई निहित है, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आप अपने अहंकार, क्रोध, नाराजगी, लालच, ईष्र्या और पूर्वाग्रहों को गला चुके हैं, तो आप आध्यात्मिक हैं। बाहरी परिस्थितियां चाहे जैसी हों, उनके बावजूद भी अगर आप अपने अंदर से हमेशा प्रसन्न और आनंद में रहते हैं, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आपको इस सृष्टि की विशालता के सामने खुद की स्थिति का एहसास बना रहता है तो आप आध्यात्मिक हैं। आपके अंदर अगर सृष्टि के सभी प्राणियों के लिए करुणा
है तो आप आध्यात्मिक हैं।
आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आप अपने अनुभव के धरातल पर जानते हैं कि मैं स्वयं ही अपने आनंद का स्रोत हूं। आध्यात्मिकता मंदिर, मस्जिद या चर्च में नहीं, बल्कि आपके अंदर ही घटित हो सकती है। यह अपने अंदर तलाशने के बारे में है। यह तो खुद के रूपांतरण के लिए है। यह उनके लिए है, जो जीवन के हर आयाम को पूरी जीवंतता के साथ जीना चाहते हैं। अस्तित्व में एकात्मकता व एक रूपता है और हर इंसान अपने आप में अनूठा है। इसे पहचानना और इसका आनंद लेना आध्यात्मिकता का सार है। आध्यात्मिक यात्रा में पहले अहंकार को ठीक करना और उसकी पुष्टि करना शामिल है ताकि सकारात्मक अवस्थाओं का अनुभव किया जा सके |
अगर आप किसी भी काम में पूरी तन्मयता से डूब जाते हैं, तो आध्यात्मिक प्रक्रिया शुरू हो जाती है, चाहे वह काम झाड़ू लगाना ही क्यों न हो। किसी भी चीज को गहराई तक जानना आध्यात्मिकता है।