शिव पुराण के साक्ष्य निम्नलिखित तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे।
आज की दुनिया में शिवलिंग इतना पूजनीय क्यों है?
शिवलिंग की पूजा एक बेतरतीब अभ्यास है।
भाग-1, विद्वेश्वर संहिता, अध्याय 5, पृष्ठ संख्या-11 (प्रकाशक: खेमराज श्री कृष्णदास प्रकाशन, मुंबई; अनुवादक: पं. ज्वाला प्रसाद जी मिश्र)
नंदिकेश्वर कहानी कह रहे हैं। शिव लिंग पूजा की उत्पत्ति क्या है?
भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु पहले युग में आमने-सामने थे। उनकी भ्रांतियों को दूर करने के लिए निराकार भगवान (सदाशिव/ब्रह्म-काल) ने स्वयं को एक स्तंभ के रूप में प्रकट किया। सदाशिव ने पूरे ब्रह्मांड के लाभ के लिए अपने लिंग के आकार में एक स्तंभ बनाया। यह शिवलिंग लिंग उस दिन से आसपास है।


