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ब्रह्मांड में 14 लोकों का नाम एवं इनमें कौन-कौन निवास करते है

ब्रह्मांड में 14 लोकों का नाम एवं इनमें कौन-कौन निवास करते है |  विष्णु पुराण में लोको के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है जिसके अनुसार लोको की संख्या 14 है. ब्रह्मांड में 14 लोकों का नाम एवं इनमें कौन-कौन निवास करते है?14 लोकों का नाम एवं इनके निवासी 🔱 इनमें 7 लोको को […]

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भगवन अनन्त का लक्षमण अवतार का चरित्र वर्णन

भगवन अनन्त का लक्षमण अवतार का चरित्र वर्णन   महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बताया गया है। श्रीराम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। स्वाभाविक है कि श्रीराम का चरित्र भी भगवान के समान आदर्श पुरुष और एक कोमल हृदय वाले इंसान जैसा था। लेकिन श्रीराम के छोटे भाई

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श्रीकृष्ण को श्राप से बचाने के लिए

श्रीकृष्ण को श्राप से बचाने के लिए सुदामा ने स्वीकारी थी उम्रभर की दरिद्रता    एक ब्राह्मणी थी जो बहुत गरीब निर्धन थी. भिक्षा माँग कर जीवन यापन करती थी. एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिक्षा नहीं मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी. छठवें

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गणेशजी की कथा

गणेशजी की कथा   *गणेश जी की कथा को सुनना अत्यंत ही शुभ होता है।* एक बार गणेश जी महाराज, एक सेठ जी के खेत में से जा रहे थे तो उन्होंने बारह दाने अनाज के तोड़ लिए। फिर गणेश जी के मन में पछतावा हुआ कि मैंने तो सेठ जी के यहां चोरी कर

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पिछले जन्म के दुश्मन थे कर्ण और अर्जुन,

पिछले जन्म के दुश्मन थे कर्ण और अर्जुन, 999 बार मार चुके थे पहले   🌼 पूर्वजन्म में श्री कृष्ण के जन्म की बात की जाए तो वह भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। यानी इससे पहले भगवान श्रीकृष्ण का सात बार जन्म हो चुका था लेकिन मूल रूप से यह माना जाता

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प्रभु महादेव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप का कारण.. शिवभक्त- “भृंगी” 

प्रभु महादेव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप का कारण.. शिवभक्त- “भृंगी” ।। शिवभक्त- “भृंगी” ।। जब भी भगवान शिव के गणों की बात होती है तो उनमें नंदी, भृंगी, श्रृंगी इत्यादि का वर्णन आता ही है। हिन्दू धर्म में नंदी एक बहुत ही प्रसिद्ध शिवगण हैं जिनके बारे में हमारे ग्रंथों में बहुत कुछ लिखा गया है।

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हिंदू धर्मग्रंथों का सार, जानिए किस ग्रंथ में क्या है?

हिंदू धर्मग्रंथों का सारp, जानिए किस ग्रंथ में क्या है? अधिकतर हिंदुओं के पास अपने ही धर्मग्रंथ को पढ़ने की फुरसत नहीं है। वेद, उपनिषद पढ़ना तो दूर वे गीता तक को नहीं पढ़ते जबकि गीता को एक घंटे में पढ़ा जा सकता है। हालांकि कई जगह वे भागवत पुराण सुनने या रामायण का अखंड

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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति का जन्म

  ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति का जन्म 1.अश्व योनि(Ashav Yoni): ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म अश्व योनि में होता है वह व्यक्ति स्वेच्छाचारी अर्थात अपने मन के अनुसार चलने वाला होता है। यह व्यक्ति किसी और का कहा नहीं मानता है, जो भी इनका मन कहता है वे उसी को मानते हैं। इस

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एक श्लोकी भागवत –सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है श्रीमद्भागवत गीता का यह एक मंत्र

हिन्दू धर्म ग्रंथों का एक विशाल समुद्र है। जो जातक इस को जितना खोजता है उसे उतना ही ज़्यादा इन ग्रंथों के बारे में पता चलता है। शास्त्रों और बुधिजीवो के अनुसार भागवत में अपार ज्ञान भरा हुआ है। भागवत को धर्म-अध्यात्म से परिपूर्ण अनमोल ग्रंथ कहा जाता है। भागवत में सभी शास्त्रों का सार

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14 भुवनों या लोकों का वर्णन :-

त्रिलोक या तीन लोक और 14 भवन कौन-कौन सें है….. 1.पाताल लोक  2.भूलोक लोक  3.स्वर्ग लोक इन लोको को भी 14 में बांटा गया है। इन 14 लोकों को भवन भी पुकारा जाता है-1. सत्लोक2. तपोलोक3. जनलोक4. महलोक5. ध्रुवलोक6. सिद्धलोक7. पृथ्वीलोक8. अतललोक9. वितललोक10. सुतललोक11. तलातललोक12. महातललोक13. रसातललोक14. पाताललोक श्रीमद् भागवतम के द्वतीय स्कन्ध के पाँचवे

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