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श्रीराधा : उनके मातृकुल और पितृकुल में कौन-कौन ——

श्रीराधा : एक परिचय श्रीराधा के उपासकों के मन में अपने इष्ट के बारे में जानने की जिज्ञासा होना स्वाभाविक है कि उनके मातृकुल और पितृकुल में कौन-कौन थे? वे अपने श्रीअंगों में कौन-कौन-से आभूषण धारण करती थीं, कौन-से स्थान उन्हें अत्यन्त प्रिय थे, उनके प्रिय पशु-पक्षियों के क्या नाम थे, आदि। गौड़ीय सम्प्रदाय के […]

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भगवान_शिव के “34” रहस्य

भगवान_शिव के “34” रहस्य   भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।   *🔱1. आदिनाथ शिव : -* सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक

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 निर्वाण षटकम्: निर्वाण यात्रा का मतलब निराकार की  और जाना |

निर्वाण का अर्थ है “निराकार”। निर्वाण यात्रा का मतलब निराकार की  और जाना | निराकार तो केवल ब्रह्म है ,वो ईश्वर है ,परमात्मा है,———- निर्वाण षट्कम (6, क्रम से समझाया गया है ) हमारे शरीर में मन स्थिर नहीं रहता ,ये हमेशा कुछ न कुछ करता रहता है |खाली नहीं बेठता , यानि कुछ न कुछ

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गणेश के 108 नाम

भगवान श्री गणेश को हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय माना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक शुभ कार्य से पहले सर्वप्रथम भगवान गणेश के पूजन का विधान है। इनकी सवारी मूषक यानि चूहा और प्रिय भोग मोदक (लड्डू) है।

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भगवत गीता के उपदेश 

  भगवत गीता के उपदेश सबसे बड़े धर्मयुद्ध महाभारत की रणभूमि कुरुक्षेत्र के युद्ध में अपने शिष्य अर्जुन को भगवान् श्रीकृष्ण ने दिए थे जिसे हम गीता सार – Geeta Saar भी कहते हैं। आज 5 हजार साल से भी ज्यादा वक्त बित गया हैं लेकिन गीता के उपदेश आज भी हमारे जीवन में उतनेही प्रासंगिक हैं। तो

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श्री हनुमान चालीसा हिन्दी अर्थ सहित….

श्री हनुमान चालीसा हिन्दी अर्थ सहित… श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि। बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन कुमार। बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार॥   सद्गुरु के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को स्वच्छ कर, श्रीराम के दोषरहित

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गुप्त सप्तशती

सात सौ मन्त्रों की ‘श्री दुर्गा सप्तशती, का पाठ करने से साधकों का जैसे कल्याण होता है, वैसा-ही कल्याणकारी इसका पाठ है। यह ‘गुप्त-सप्तशती’ प्रचुर मन्त्र-बीजों के होने से आत्म-कल्याणेछु साधकों के लिए अमोघ फल-प्रद है।इसके पाठ का क्रम इस प्रकार है। प्रारम्भ में ‘कुञ्जिका-स्तोत्र’, उसके बाद ‘गुप्त-सप्तशती’, तदन्तर ‘स्तवन‘ का पाठ करे।कुञ्जिका-स्तोत्र ।।पूर्व-पीठिका-ईश्वर उवाच।।

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चौरासी लाख योनियाँ

चौरासी लाख योनियाँ सनातन धर्म में कुल चौरासी लाख योनियाँ बताई गई हैं । उदाहरण के लिए मनुष्य योनि, कुत्ते की योनि, बिल्ली की योनि आदि । इस प्रकार कुल चौरासी लाख योनियाँ हैं । जिसमें जीव को जन्म लेना पड़ता है ।जल, थल और नभ में कुल मिलाकर चार तरह के जीव होते हैं।इन्हें

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हनुमान चालीसा की महिमा

हनुमान जी और हनुमान चालीसा दोनो की भारतीय संस्कृति में अवर्णीय आस्था है। हनुमान जी का नाम आते ही हमारे अंदर एक अद्भुत शक्ति का संचार होने लगता है। हनुमान चालीसा का पूरा पाठ करने में लगभग 10 मिनट लगते हैं |  हनुमान चालीसा पड़ने से लाभ , 1. बुरी आत्‍माओं को भगाए: हनुमान जी

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